संन निरंकारी मिशन ने आज 15 अगस्त को स्वतंत्रता के उत्सव के रूप में मनाया
देवरिया भारत ने जहां अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, वहीं निरंकारी मिशन ने इस दिन को आध्यात्मिक स्वतंत्रता के उत्सव के रूप में मनाया और इसे 'मुक्ति पर्व' के रूप में संबोधित किया।
इस अवसर पर देश भर में मिशन की सभी शाखाओं में विशेष सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए गए। देवरिया में भी निरंकारी भवन मुण्डेरा बुजुर्ग पर 'मुक्ति पर्व' समागम को संबोधित करते हुवे संयोजक बद्रि विशाल से ने कहा की शरीर बदलता रहता है ज्ञान वहीं है गुरु वहीं है सत्गुरु देह का नाम नहीं है सत्गुरु होता ज्ञान है संत निरंकारी मिशन ने सदियों से मानव में अपने परमात्मा निरंकार को जानने की जिज्ञासा विकसित की है। ईश्वर की प्राप्ति आध्यात्मिक स्वतंत्रता की कुंजी है, जिसे केवल मानव रूप में ही प्राप्त किया जा सकता है।देवरिया क्षेत्र में संत निरंकारी मिशन की ब्रांच देवरिया,पकड़ी बजार,बरहज,सलेमपुर,रुद्रपुर,भाटपार रानी,गौरी बजार,तरकुलवा,बघौचघाट आदि स्थानों पर लगभग 16 से 17 शाखाओं पर मुक्ति पर्व मनाया गया, वहीं निरंकारी मिशन के बाल संगत के बच्चों द्वारा मिशन के गीतों पर अपनी प्रस्तुतिया दिखाई। जहां बड़ी संख्या में अनुयायी एकत्रित हुए। इस अवसर पर, भक्तों ने मिशन के पूर्व आध्यात्मिक प्रमुखों शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी, जगत माता बुधवंती जी, निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी,बाबा हरदेव सिंह जी, सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी और सभी समर्पित भक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने स्वयं दिव्य प्रकाश का अनुभव करने के बाद इसे दूसरों को भी दिखाया। यह इन दिव्य व्यक्तियों की तपस्या और बलिदान है जिसने मिशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, जिसके लिए हर निरंकारी अपने पूरे जीवन में उनके गुणों का ऋणी रहेगा। उनके प्रेरणादायक जीवन को एक दिन में समेटना मुश्किल है।मुक्ति पर्व समागम सर्वप्रथम 15 अगस्त, 1964 को शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी की धर्मपत्नी जगत माता बुधवंती जी की स्मृति में आयोजित किया गया था। शहंशाह जी स्वयं सेवा की जीवंत प्रतिमूर्ति थे, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन निःस्वार्थ भाव से मिशन को समर्पित कर दिया।निस्संदेह, यह दिन निरंकारी मिशन के प्रत्येक संत को समर्पित है, जिन्होंने प्रेम, परोपकार और भाईचारे से भरा एक आदर्श जीवन प्रस्तुत किया
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