नागरी प्रचारिणी सभा में राष्ट्रपिता गांधीजी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मनाई गयी जयंती

02अक्तूबर को नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया द्वारा राष्ट्रपिता गांधीजी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गयी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ हरिविलास चौधरी, विशिष्ट अतिथि श्री रामधनी सिंह सर्वोदय मंडल के नेता सहित उपस्थित सभी लोगों का स्वागत करते हुए डांस दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि महात्मा गांधी और शास्त्री जी को हम किताबों में पढ़ तो सकते हैं, उन्हें जान भी सकते हैं परन्तु उनको समझना कठिन है। गांधी जी अपने जाने हुए ज्ञान को जीवन में उतारने का प्रयास करते थे। गांधी ने समाज में ऐसी लहर पैदा की, कि आप तटस्थ नहीं रह सकते या तो उनके समर्थक हो सकते हैं या विरोधी। हम गांधी से जितना दूर भागते हैं वे हमारे लिए उतने ही स्वीकार्य हो जाते हैं। और यही है, गांधी का प्रभाव। आगे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर अपनी राय प्रकट करते हुए डांस तिवारी ने कहा कि शास्त्री जी गांधी के सच्चे अनुयायी थे, परन्तु अहिंसा को कायरता कहने वालों को कड़ा जवाब भी देना जानते थे।वे असीम जीवटता के साक्षात प्रमाण हैं। 
कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऋषिकेश मिश्र ने कहा कि बाइबिल के बाद सबसे अधिक पुस्तकें गांधी पर लिखी गई। आज गांधी को पढा तो जाता है पर अमल नहीं किया जाता यह हमारे लिए बिडंम्बना की बात है। हमे गांधी के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा भावी पीढ़ी को पहुंचाना चाहिए।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री रामधनी सिंह जी ने कहा गांधी गीता के साथ अपना जीवन शुरू करते हैं और सत्याग्रह जैसा मंत्र प्राप्त करते हैं।उनका पूरा जीवन इसी सत्याग्रह और अहिंसा को समर्पित रहा। उन्होंने अपने इस सत्याग्रह का सफल प्रयोग चम्पारण में किया और देश में ऐसी लहर पैदा कर दी जो देश को आजाद कराने का मंत्र बना। गांधी को आप स्वीकारें या न स्वीकारें उन्हें भुला नहीं सकते। मुख्य अतिथि डॉ हरिविलास चौधरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री महान व्यक्तित्व के धनी थे।इनका जीवन संघर्ष भारतीय समाज को निरंतर प्रेरणा देता रहेगा। उनके समय में गांधी के बिना आजाद होने की कल्पना करना भी मुश्किल था। शास्त्री जी पर अपनी बात करते हुए चौधरी जी ने कहा कि देश में आज जो सुख समृद्धि दिखाई दे रही वह शास्त्री जी के त्याग और संघर्ष का सुफल है। 
ऐसे व्यक्तित्व कभी-कभी मिलते हैं। कार्यक्रम के शुरुआत में गीतकार दयाशंकर कुशवाहा ने गांधी जी के भजन रघुपति राघव राजा राम को प्रस्तुत किया। अंजलि अरोड़ा ने गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए का गायन किया।‌ सभा के पुस्तकालय में नियमित पढ़ने वाली छात्राओं नंदिनी जायसवाल, श्रुति दुबे, मनीषा और अंशु चतुर्वेदी ने भी रघुपति राघव राजाराम का सुन्दर गायन प्रस्तुत किया। सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने कहा कि गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। हिंसा केवल हथियार से नहीं की जाती बल्कि वाणी से भी की जाती है। आज हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने वाणी या अपने किसी भी प्रकार के आचरण से ऐसा कार्य कदापि न करें जिससे किसी को दुख हो। यहीं गांधी और शास्त्री जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समारोह के संयोजक गोपाल कृष्ण सिंह रामू ने महापुरुषों के जीवन और कार्य के अध्ययन और आदर्शों को जीवन उतारने पर बल दिया। श्री रामू जी ने समारोह में उपस्थित अतिथि एवं श्रोता गण को सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। समारोह का सफल संचालन सभा के पूर्व मंत्री इन्द्र कुमार दीक्षित ने किया। इस अवसर पर श्रीनिवास पाण्डेय, डा सौरभ श्रीवास्तव, श्वेतांक करण त्रिपाठी, अधिवक्ता बृजेश पांडेय, जगदीश उपाध्याय, रजनीश गोरे, अनिल कुमार त्रिपाठी, कौशल कुमार मिश्र, सौदागर सिंह, रवीन्द्र नाथ तिवारी,डा शकुंतला दीक्षित, रमेश चन्द्र त्रिपाठी, बृजेश पांडेय प्रबंधक, मधुसूदन मणि त्रिपाठी, वृद्धि चन्द्र विश्वकर्मा, ह्रदय नारायण जायसवाल, श्रीमती दुर्गा पाण्डेय, उद्भव मिश्र, कीर्ति त्रिपाठी, लालता प्रसाद ही चौधरी, पार्वती देवी, सौदागर सिंह,कौशल किशोर मणि, बाबूराम सिंह, जयनन्द प्रसाद गोंड रमाशंकर मल्ल, आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

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